Monday, 29 April 2013

नारीवाद का घृणित चेहरा...


 
कुछ लोग लक्षण जन्‍मजात होते हैं। वे उम्रभर पीछा नहीं छोडते। ऐसे लक्षण व्‍यक्ति के नाम के साथ जुड जाते हैं और उसकी पहचान बन जाते हैं।ब्‍लाग जगत में भी ऐसी कई हस्तिया है जो जन्‍मजात लक्षण लेकर पैदा हुई है। ऐसी ही एक हस्‍ती है नारी ब्‍लाग की माडरेटर रचना, नारी ब्‍लाग उन्‍होंने ही बनाया है, यह सबको पता होना चाहिए इसीलिए वे वे इसकी घोषणा अपने ब्‍लाग में जगह-जगह करती फिरती हैं।

यूं तो नारी ब्‍लॉग की माडरेटर रचना मैडम का कहना है वे नारी को जंजीरों से आजाद कराने निकली हैं पर असल में उनका एजेंडा है अपनी व्‍यक्तिगत कुंठा निकालना और ब्‍लाग जगत का माहौल खराब करना और समय-समय पर वे अपने कृत्‍यों के द्वारा इसका सबूत देती रहती हैं और इसका लेटेस्‍ट नमूना उन्‍होंने फिर प्रस्‍तुत कर दिया है।

हुआ यूं कि कल अलका मिश्रा जी ने बाब्‍स पुरस्‍कारों के सम्‍बंध में तस्‍लीम की तारीफ कर दी। इसे देखकर रचना मैडम का नारीवाद जाग उठा उन्‍होंने ब्‍लाग जगत को इतिहास खंगाल कर सतीश सक्‍सेना जी के ब्‍लॉग पर लिखी गयी उनके व्‍यक्तिगत जीवन के अप्रिय प्रसंग की कड़ी खोज निकाली और उनके कमेंट बाक्‍स में चिपका दी। वो कहावत है न धोबी से न जीते, गदही के कान उमेठे। या फिर खिसियानी बिल्‍ली खंभा नोचे। दोनो कहावत यहां पर फिट बैठ रही है, आप जिसको चाहे समझ ले।
अब आते हैं मूल मुददे पर, रचना मैडम ने जब अपनी खीझ निकालते हुए टिप्‍पणी लगाई, तो उसके अलका जी ने डिलीट कर दी। पर चूंकि उनका नारीवाद पराकाष्‍ठा पर था,सो रात में फिर उन्‍होंने फर्जी तरीके से युग जमाना की डुप्‍लीकेट आईडी से एक और कडी वहां चेप दी। जल्‍दीबाजी में की गयी इस टिप्‍पणी में मैडम ने टिप्‍पणी में तो युग जमाना की कडी लगाई लेकिन युग जमाना के लिंक में सतीश सक्‍सेना जी की पोस्‍ट का लिंक लगा दिया।

लेकिन इतने मात्र से ही रचना मैडम का नारीवाद शान्‍त नही हुआ। ईर्ष्‍या की अग्नि मे सुलग रही इस 'लौह महिला' ने अपने ब्‍लाग पर 'खुलासा' पोस्‍ट लगा दी, जिसमें अलका जी की पोस्‍ट का लिंक देते हुए फिर सतीश सक्‍सेना जी की पोस्‍ट का लिंक चेंप दियाऔर इस तरह इस 'जुझारू' और ब्‍लाग जगत के लम्‍बरदारों की चहेती 'सर्वश्रेष्‍ठ ब्‍लागर' ने यह जता दिया कि उससे पंगा लेने का मतलब क्‍या होता है और वह बदला लेने के लिए किस हद तक जा सकती है।

तो ब्‍लागर साथियो, ये है 'नारीवाद' का असली चरित्र, जो न चाहते हुए एक बार फिर सामने आ गया है।
मैं इस पोस्‍ट के माध्‍यम से सबसे पहले 'रचना' मैडम के इस कुकृत्‍य की आलोचना करता हूं क्‍योंकि किसी के व्‍यक्तिगत जीवन के अप्रिय प्रसंगों को इस तरह उछालना एक बेहद घटिया और निंदनीय कृत्‍य है, जिसके लिए उन्‍हें क्षमा मांगनी चाहिए।

मैं इस पोस्‍ट के माध्‍यम से श्री सतीश सक्‍सेना जी ने निवेदन करना चाहता हूं कि वे कृपया उस पोस्‍ट को डिलीट कर दे, जो अलका जी के जीवन के अप्रिय प्रसंगों से जुडी हुई है। सतीश जी एक संवेदनशील और गम्‍भीर ब्‍लागर है आशा है विषय की गम्‍भीरता को समझते हुए इस विषय पर कार्यवाई करेंगे क्‍योंकि यह एक संवेदनशील मुददा है, और इससे एक नारी की भावनाएं आ‍हत हो रही हैं। आशा है अन्‍य नारी ब्‍लागर्स भी इस विषय पर खुलकर अपने विचार रखेंगी।

साथ ही मैं सभी सुधी और विद्वान ब्‍लागर बंधुओं से अपील करता हूं कि वे अपनी पोस्‍टों के द्वारा रचना मैडम के इस कृत्‍य की खुलकर आलोचना करें, क्‍योंकि ऐसा करके उन्‍होंनेपूरी नारी जाति को अपमानित करने का घृणित कार्य किया है। 

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